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होना न होना / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
(१)
जब जब मैं यह देखता हूँ
जीवन में क्या क्या है मेरे पास
तुम्हारा नहीं होना
हमेशा साथ होता है
तुम्हारी इस तदबीर पर
बेसाख्ता मुस्कराता हूँ ,
मान लेता हूँ
कि तुम हो बाबा... आज भी
मुझमें सबसे ज्यादा !
(२)
मैं आज भी वही हूँ
तुम्हें अपना भगवान मानता हुआ
सहज स्वतंत्र, बंधन हीन, अपने मन का, बेपरवाह
कौतुकी, मायामय, सबकुछ खेल समझने वाला
अलभ्य अगम्य किन्तु प्रिय,
तुम आज भी वही हो
पाषाण !