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सदस्य वार्ता:महावीर जोशी पूलासर

महावीर जोशी पूलासर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 16 नवम्बर 2011 का अवतरण ("सर्वो देवोमई गौ माता" (रचना : महावीर जोशी, पूलासर -सरदारशहर): नया विभाग)

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प्रिय महावीर जोशी पूलासर, कविता कोश पर आपका स्वागत है!

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कविता कोश हिन्दी काव्य को अंतरजाल पर स्थापित करने का एक स्वयंसेवी प्रयास है। इस कोश को आप कैसे प्रयोग कर सकते हैं और इसकी वृद्धि में आप किस तरह योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनायें नीचे दी जा रही हैं। इन्हे कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े।

  • यदि आप अपनी स्वयं की रचनाएँ कोश में जोड़ना चाहते हैं तो ऐसा करने के लिये आपको एक निश्चित प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा। यह प्रक्रिया जानने के लिये देखें: नये नाम जोड़ने की प्रक्रिया। कृपया अपने सदस्य पन्ने पर अपनी रचनाएँ ना जोड़े -क्योंकि इस तरह जोड़ी गयी रचनाओं को हटा दिया जाएगा।

  • कविता कोश में आप स्वयं पहले से मौजूद किसी भी कविता कोश बदल सकते हैं या फिर नयी कवितायें जोड़ सकते हैं। कविता कोश का संचालन कविता कोश टीम नामक एक समूह करता है। रचनाकारों की सूची जैसे पन्ने केवल इस टीम के सदस्यों के द्वारा ही बदले जा सकते हैं।

  • यदि आप कोश में पहले से मौजूद रचनाओं में कोई ग़लती पाते हैं, जैसे कि वर्तनी की ग़लतियाँ (Spelling mistakes), तो कृपया उन ग़लतियों को सुधार दें। ऐसा करने के लिये हर पन्ने के ऊपर बदलें लिंक दिया गया है।

  • अगर आप यूनिकोड के अलावा किसी दूसरे हिन्दी फ़ॉन्ट (जैसे शुषा, कृति इत्यादि) में टाइप करना जानते हैं तो भी आप उस फ़ॉन्ट में रचनाएँ टाइप कर kavitakosh@gmail.com पर भेज सकते हैं। इन रचनाओं को यूनिकोड में बदल कर कविता कोश में जोड़ दिया जाएगा। लेकिन सबसे बढिया यही रहेगा कि आप हिन्दी यूनिकोड में टाइप करना सीख लें, यह बहुत आसान है!
  • यदि आप कोई वैबसाइट या ब्लॉग चलाते हैं -तो आप उस पर कविता कोश का लिंक दे कर कोश को अधिक से अधिक लोगो तक पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। कविता कोश का लिंक है http://kavitakosh.org

  • अगर आप ग्राफ़िक डिज़ाइनिंग कर सकते हैं या आप विकि में बहुत अच्छी तरह काम करना जानते हैं तो आप कोश के लिये ग्राफ़िक्स इत्यादि बना सकते हैं और इसके रूप-रंग को और भी बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

  • आप दूसरे लोगो को कविता कोश के बारे में बता कर इसके प्रसार में मदद कर सकते हैं। जितने अधिक लोग कविता कोश के बारे में जानेंगे उतना ही अधिक योगदान कोश में हो सकेगा और कोश तीव्रता से प्रगति करेगा।

मोरियो पगा कानी देख गे रोवै

क्यु जी सोरो करै,

दुसरा गै घर री बाता सुण गै,

जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी है

बा ही तॊ तॆरॆ घर मॆ हॊवॆ,

तु भीत रै चिप्यॊडॊ इनै,

बॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ है,

क्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भी कान हॊवॆ,

आज तु सुणसी

काल बॊ तॆरी सुणसी,

क्यु सरमा मरै,

मॊरीयॊ पगा कानी दॆख गॆ रॊवै ,

ये केसा संसार है

यॆ कॆसा ससार है,

गरीब यहा लाचार है,

कुछ लॊगॊ कॆ पास है हीरॆ,

कुछ रॊटी बिन बिमार है,

कहतॆ धरती मा सबकी फिर भॆद क्यु बॆसुमार है,

ममता तॆरी तु है मा फिर माता क्यु लाचार है,

सुनॆ पडॆ है महल यहा फुटपाथॊ पर भरमार है,

कुछ बन गयॆ ताज यहा,

कुछ दानॆ कॊ मॊहताज है,

खुस यहा है पैसॆ सॆ सब,

भुखॊ सॆ नाराज है,

यॆ कॆसा ससार है,

गरीब यहा लाचार है

रचना... महावीर जोशी पूलासर

आपका आवेदन

महावीर जी, कविता कोश के लिए आपका आवेदन विचाराधीन है। कृपया निर्णय की प्रतीक्षा करें। बिना कविता कोश टीम की अनुमति के आप जो भी रचनाएँ कोश में जोड़ेंगे उन तक पाठक नहीं पहुँच पाएंगे। अत: आपसे प्रार्थना है कि आप धैर्य रखें।

"सर्वो देवोमई गौ माता" (रचना : महावीर जोशी, पूलासर -सरदारशहर)

जिनके प्रष्ठदेश में ब्रह्मा , मुख में रूद्र निवाश है, रोम रोम में ईश्वर तन में सब तीर्थो का वास है, जिनकी रक्षा की खातिर विष्णु ने गोकुल में अवतार लिया, नंगे पैरो चल कर प्रभु ने गौ पालन स्वीकार किया, जिनके नाम से अपने धर्म की है विश्व में ऊँची गाथा, श्रद्धा से हम नमन करे, है "सर्वो देवोमई गौ माता"

वृन्दावन में श्री कृष्ण ने गौ माता का सन्मान किया, ब्रह्मस्वरूपा गौ माता को माँ कपिला का नाम दिया, सब देवो की देवी माँ और सब की है गौ माँ दाता, शीश झुका कर नमन करे, है "सर्वो देवोमई गौ माता"

समुद्र मंथन में विष्णु ने गौ माता का सत्कार किया, सब देवो की गौ माता को माँ सुरभि का नाम दिया, सुर मानव सौभाग्याविधयिनी सत्य सनातन धर्म की माता मोक्ष दायिनी मंगल कारिणी "सर्वो देवोमई गौ माता"

सतयुग त्रेता द्वापर युग में सब नर देवो ने सन्मान किया कलयुग में कुछ असुरो ने गौ माता का अपमान किया, धर्मनीति और राजनीती में पिस रही है गौ माता, अखिल विश्व की प्रतिपालिनी, है "सर्वो देवोमई गौ माता"

आओ हम सब साथ में मिलकर गौ हत्या बंद आह्वान करे, विश्व के इन अशुरो का हम सब जन्मो में परीत्याग त्याग करे, भव तारिणी दुःख हारिणी मंगल कारिणी है देवी माता नित्य प्रेम से शीश झुकाएँ, है "सर्वो देवोमई गौ माता"

गाँव गाँव और शहर शहर में गौ शाला निर्माण करे, अपने हिस्से की रोटी से कुछ गौ माता को दान करे, सत्य सनातन धर्म की जननी है सकल विश्व की माता , तन मन धन से रक्षा करे हम, है "सर्वो देवोमई गौ माता"