प्रिय महावीर जोशी पूलासर, कविता कोश पर आपका स्वागत है! कविता कोश हिन्दी काव्य को अंतरजाल पर स्थापित करने का एक स्वयंसेवी प्रयास है। इस कोश को आप कैसे प्रयोग कर सकते हैं और इसकी वृद्धि में आप किस तरह योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनायें नीचे दी जा रही हैं। इन्हे कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े। |
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मोरियो पगा कानी देख गे रोवै
क्यु जी सोरो करै,
दुसरा गै घर री बाता सुण गै,
जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी है
बा ही तॊ तॆरॆ घर मॆ हॊवॆ,
तु भीत रै चिप्यॊडॊ इनै,
बॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ है,
क्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भी कान हॊवॆ,
आज तु सुणसी
काल बॊ तॆरी सुणसी,
क्यु सरमा मरै,
मॊरीयॊ पगा कानी दॆख गॆ रॊवै ,
ये केसा संसार है
यॆ कॆसा ससार है,
गरीब यहा लाचार है,
कुछ लॊगॊ कॆ पास है हीरॆ,
कुछ रॊटी बिन बिमार है,
कहतॆ धरती मा सबकी फिर भॆद क्यु बॆसुमार है,
ममता तॆरी तु है मा फिर माता क्यु लाचार है,
सुनॆ पडॆ है महल यहा फुटपाथॊ पर भरमार है,
कुछ बन गयॆ ताज यहा,
कुछ दानॆ कॊ मॊहताज है,
खुस यहा है पैसॆ सॆ सब,
भुखॊ सॆ नाराज है,
यॆ कॆसा ससार है,
गरीब यहा लाचार है
रचना... महावीर जोशी पूलासर
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|| पाणी ||
नी मिनख रो मोळ, मोळ मिनख री बाणी है, नी चेहरे रो कोई मोळ, मोळ बस चेहरे रो पाणी है,
मत कर ऊँची बात बात नी कोई आणीजाणी है, मत मार धुड में लठ, वक्त बस वक्त वक्त री काणी है,
मत माया रो कर मोळ, है छाया एक दिन ढळ ज्याणी है, ज्यू नी बादळ रो मोळ, मोळ बस बादळ रो पाणी है,
उंच नीच रा भाव बात बस मिनखां री नादाणी है, ज्यू नी आंख्या रो मोळ अगर जै नी आंख्या मे पाणी है,
नी धरती पर रुंख जीव नी जै नी धरती पर पाणी है, पाणी है सब खेळ जीव रो नी जीवण बिन पाणी है,
वाणी में मिठास,विष, और वाणी इज्जत रो पाणी है, काया जळ होणी राख, राख बस पाणी में मिल ज्याणी है,
नी मिनख रो मोळ, मोळ मिनख री बाणी है, नी चेहरे रो कोई मोळ, मोळ बस चेहरे रो पाणी है,
रचना : महावीर जोशी, पूलासर (सरदारशहर)