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बिहारी
डॉ॰ व्योम
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कविवर बिहारी दोहे और कवित्त
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बिहारी के दोहे
बिहारी के कवित्त
माहि सरोवर सौरभ लै
है यह आजु बसन्त समौ
बौरसरी मधुपान छक्यौ
जाके लिए घर आई घिघाय
खेलत फाग दुहूँ तिय कौ
नील पर कटि तट
जानत नहिं लगि मैं
वंस बड़ौ बड़ी संगति पाइ
गाहि सरोवर सौरभ लै
बिरहानल दाह दहै तन ताप
सौंह कियें ढरकौहे से नैन
केसरि से बरन सुबरन