ग़ज़लें
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रचनाकार | महेन्द्र मिश्र |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- प्यारी-प्यारी कारी-कारी अब घटा आने लगे / महेन्द्र मिश्र
- मिले जो यार तो इतना सनेस कह देना / महेन्द्र मिश्र
- खुद-ब-खुद आ जाएगें मवशिमे-बहार आने तो दो / महेन्द्र मिश्र
- कर लो किसी को अपना या हो रहो किसी के / महेन्द्र मिश्र
- दिल खोल के मिल ले सनम फिर हम कहाँ अब तुम कहाँ / महेन्द्र मिश्र
- यार मिल जावो गले से अब तो फागुन आ गया / महेन्द्र मिश्र
- ये हुस्न का है दौलत रखना छिपा-छिपा के / महेन्द्र मिश्र
- भजो श्री राम को प्यारे उमिरिया बीत जाता है / महेन्द्र मिश्र
- सुना है हम तो मिथिला में स्वयंवर होने वाली है / महेन्द्र मिश्र
- दिल ले के यार मेरा आखिर दगा न करना / महेन्द्र मिश्र
- मन राम को सुमिर ले दिन यों ही जा रहा है / महेन्द्र मिश्र
- तजा है प्राण दशरथ ने जुदाई हो तो ऐसा हो / महेन्द्र मिश्र
- सहते-सहते यारे सद्मा दिल में अरमां सो गया / महेन्द्र मिश्र
- सुना था हमने मुनियों से इहाँ पर राम का आना / महेन्द्र मिश्र
- गंग किनार ठाढ़ रघुनन्दन केवट-केवट बुला रहे हैं / महेन्द्र मिश्र
- सदा जमाना रहा है किसका सदा जवानी रही है किसकी / महेन्द्र मिश्र
- हे दीन दयाल कृपालहरी नैया भवपार लगा देना / महेन्द्र मिश्र
- तुम तो पिया सुरलोक चले मेरी नइया खेवइया तो कोई नहीं / महेन्द्र मिश्र
- रात भर झगड़े में उनसे गुफ्तगूँ होता रहा / महेन्द्र मिश्र
- सावन का क्या बहार है जब यार ही नहीं / महेन्द्र मिश्र
- कहो जी मोहन कहाँ से आयो हमें सबेरे जगा रहे हो / महेन्द्र मिश्र
- या इलाही तू बचाना बेवफा के हाथ से / महेन्द्र मिश्र
- काबा सही बुतखाना सही तुझे टूँढ ही लेंगे कहीं न कहीं / महेन्द्र मिश्र
- कौन कहता है कि यारी में मजा होता है / महेन्द्र मिश्र
- इस्कबाजी में मेरी जान रहे या न रहे / महेन्द्र मिश्र
- मचाया धूम मनमोहन सखी री अबकी होली में / महेन्द्र मिश्र
- मन राम भजो सब काम तजो क्या ठीक तेरे जिन्दगानी का / महेन्द्र मिश्र
- यहाँ से राजन हटाओ झगड़ा सीया को दे दो श्रीराम जी को / महेन्द्र मिश्र
- प्राण प्यारे बात मानो दे दो सीता राम की / महेन्द्र मिश्र
- मुहब्बत जान लेती है बचा लो जिसका दिल चाहे / महेन्द्र मिश्र
- दिल लगाने के लिए दिल आजमाना चाहिए / महेन्द्र मिश्र