अब्दुल अहद ‘साज़’
जन्म | 16 अक्तूबर 1950 |
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निधन | 22 मार्च 2020 |
उपनाम | साज़ |
जन्म स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
ख़ामोशी बोल उठी है (1990), सरगोशियाँ ज़मानों की (2003) | |
विविध | |
महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकादमी अवार्ड (1991), जेमिनी अकादमी हरियाणा अवार्ड (1997), पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी अवार्ड (2003), बिहार उर्दू अकादमी अवार्ड (2003)। महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की युवा भारती (कक्षा 12 ) तथा बाल भारती (कक्षा 5,6,9 ) में बाल कविताएँ शामिल । | |
जीवन परिचय | |
अब्दुल अहद ‘साज़’ / परिचय |
- मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना / अब्दुल अहद ‘साज़’
- मैं ने कब चाहा कि मैं उस की तमन्ना हो जाऊँ / अब्दुल अहद ‘साज़’
- ख़ुद को औरों की तवज्जुह का तमाशा न करो / अब्दुल अहद ‘साज़’
- दूर से शहरे-फ़िक्र सुहाना लगता है / अब्दुल अहद ‘साज़’
- जागती रात अकेली-सी लगे / अब्दुल अहद ‘साज़’
- बंद फ़सीलें शहर की तोड़ें ज़ात की / अब्दुल अहद 'साज़'
- बे-मसरफ़ बे-हासिल-ए-दुख / अब्दुल अहद 'साज़'
- हम अपने ज़ख़्म कुरेदते हैं वो ज़ख़्म / अब्दुल अहद 'साज़'
- हर इक लम्हे की रग में दर्द का रिश्ता / अब्दुल अहद 'साज़'
- जीतने मारका-ए-दिल वो लगातार गया / अब्दुल अहद 'साज़'
- ख़राब-ए-दर्द हुए ग़म-परस्तियों में रहे / अब्दुल अहद 'साज़'
- खिले हैं फूल की सूरत तेरे विसाल के दिन / अब्दुल अहद 'साज़'
- खुली जब आँख तो देखा के दुनिया सर पे / अब्दुल अहद 'साज़'
- मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना / अब्दुल अहद 'साज़'
- मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे / अब्दुल अहद 'साज़'
- यूँ भी दिल अहबाब के हम ने गाहे गाहे / अब्दुल अहद 'साज़'