भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बे-मसरफ़ बे-हासिल-ए-दुख / अब्दुल अहद 'साज़'
Kavita Kosh से
बे-मसरफ़ बे-हासिल दुख
जीने के ना-क़ाबिल दुख
ख़्वाब सितारे पलकों पर
झिलमिल झिलमिल झिलमिल दुख
सुख है इक गुम-नाम उफ़ुक़
नाव समंदर साहिल दुख
राह के सब दुख झेल के जब
मंज़िल आए तो मंज़िल दुख
बोझ सा मेरी रातों पर
शेर की सूरत नाज़िल दुख
सहरा सदियाँ जीवन की
और ये पल पल तिल तिल दुख
मुक्ती बन का बरगद कर्ब
भोग नगर का साहिल दुख
सर्वम दुखम जीवन 'साज़'
दिल में दुख है या दिल दुख