खानाबदोश
रचनाकार | अहमद फ़राज़ |
---|---|
प्रकाशक | राजपाल एंड सन्ज |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 335 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- हर्फ़े-ताज़ा की तरह क़िस्स-ए-पारीना / फ़राज़
- न कोई ख़्वाब न ताबीर ऐ मेरे मालिक / फ़राज़
- तेरा क़ुर्ब था कि फ़िराक़ था / फ़राज़
- यूँ तुझे ढूँढ़ने निकले के न आए ख़ुद भी / फ़राज़
- आज फिर दिल ने कहा आओ भुला दें यादें / फ़राज़
- मैं दीवाना सही पर बात सुन ऐ हमनशीं मेरी / फ़राज़
- ना दिल से आह ना लब सदा निकलती है/ फ़राज़
- बुझा है दिल तो ग़मे-यार अब कहाँ तू भी / फ़राज़