- तालिबे-दीद पर आँच आये यह मंज़ूर नहीं / सफ़ी लखनवी
- वो खुद सरसे क़दम तक डूबे जाते हैं पसीने में / सफ़ी लखनवी
- न ख़ामोश रहना मेरे हम-सफ़ीरो / सफ़ी लखनवी
- इन्सान को उसने ख़ाक से पाक किया / सफ़ी लखनवी
- क्योंकर यहाँ तुम्हारी तबीयत बहल गई / सफ़ी लखनवी
- कुछ भी न हैफ़ कर सके हस्तीए-मुस्तआ़र में / सफ़ी लखनवी
- ख़ामोश रहने दो ग़मज़दों को, कुरेद कर हाले-दिल न पूछो / सफ़ी लखनवी
- बेक़रारी दिले-बीमार की अल्ला-अल्ला / सफ़ी लखनवी
- थमो-थमो कि इस उजडे़ मकाँ का था यह चराग़ / सफ़ी लखनवी