बदन सराय
रचनाकार | मुनव्वर राना |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन,
21- ए , दरिया गंज नई दिल्ली 110002 |
वर्ष | 2008 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 96 |
ISBN | 978-81-8143-977-2 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- तुम्हारे पास ही रहते न छोड़ कर जाते / मुनव्वर राना
- सरक़े का कोई शेर ग़ज़ल में नहीं रक्खा / मुनव्वर राना
- कभी थकन के असर का पता नहीं रहता / मुनव्वर राना
- जुर्रत से हर नतीजे की परवा किये बगैर / मुनव्वर राना
- बन्द कर खेल तमाशा हमें नींद आतीं है / मुनव्वर राना
- उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले है / मुनव्वर राना
- रोने में इक खतरा है तालाब नदी हो जाते है / मुनव्वर राना
- खून रुलवायेंगी ये जंगल परस्ती एक दिन / मुनव्वर राना
- हाँ इजाजत है अगर कोई कहानी और है / मुनव्वर राना
- इन्सान थे कभी मगर अब खाक हो गए / मुनव्वर राना
- मै जिसके वास्ते जलता रहा दिये की तरह / मुनव्वर राना
- हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते है / मुनव्वर राना
- हर एक लम्हा हमारी फ़िक्र पैगम्बर को रहती है / मुनव्वर राना
- अब मदरसे भी है तेरे शर से डरे हुए / मुनव्वर राना
- नदी का शोर नहीं ये आबशार का है / मुनव्वर राना
- तेरे लिए मै शहर से रुसवा बहुत हुआ / मुनव्वर राना
- हर एक पल तेरी चाहत का ऐतबार रहे / मुनव्वर राना