प्रेममालिका
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रचनाकार | भारतेंदु हरिश्चंद्र |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 1871 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- प्यारी छबि की रासि बनी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- आजु तन नीलाम्बर अति सोहै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- आव पिय पलकन पै धरि पाँव / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- नैना मानत नाहीं, मेरे नैना मानत नाहीं / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- नैन भरि देखि लेहु यह जोरी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- अहो हरि ऐसी तौ नहिं कीजै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- बनी यह सोभा आजु भली / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- फबी छबि थोरे ही सिंगार / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- आजु सिर चूड़ामनि अति सोहै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
- / भारतेंदु हरिश्चंद्र