वजूद-ओ-अदम
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रचनाकार | लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी |
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प्रकाशक | हिमाचल कला संस्कृति व भाषा अकादमी,शिमला-1 |
वर्ष | 1988 |
भाषा | उर्दू |
विषय | शेरी मज्मूआ |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 136 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- [[हर आस्ताँ पे अपनी जबीने-वफा न रख
/ लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी ]]
- निगाहे-शम्स-ओ-क़मर भी जहाँ पे कम ठहरे / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- कौन कहता कि हम बे-सरो-सामाँ ठहरे / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- दिल पे जब चोट लगे है सुन लो / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- क्या तर्ज़े-तबस्सुम है कि तहरीर लगे है / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- मेरी तक़दीर सँवर जाती उजालों की तरह / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- सर-नियाज़ तेरे दर पे हम झुका के चले / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- ख़ुशी की बात मुक़द्दर से दूर है बाबा / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- हमारे पास तेरे प्यार के सिवा क्या है / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- फ़रेबे-ज़िंदगी है और मैं हूँ / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
- / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
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