'दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म<br /> जैसे जंगल में शाम के साय...' के साथ नया पन्ना बनाया
'आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ<br /> आज फिर महकी ह...' के साथ नया पन्ना बनाया
'आदमी बुलबुला है पानी का<br /> और पानी की बहती सतह पर टूटत...' के साथ नया पन्ना बनाया
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'चार तिनके उठा के जंगल से एक बाली अनाज की लेकर चाँद कत...' के साथ नया पन्ना बनाया
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