भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चार तिनके उठा के / गुलज़ार

6 bytes removed, 22:15, 12 दिसम्बर 2011
चार तिनके उठा के जंगल से<br />
एक बाली अनाज की लेकर<br />
चाँद चंद कतरे बिलखते अश्कों के<br />चाँद चंद फांके बुझे हुए लब पर<br />
मुट्ठी भर अपने कब्र की मिटटी<br />
मुट्ठी भर आरजुओं का गारा<br />
10
edits