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'दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म<br /> जैसे जंगल में शाम के साय...' के साथ नया पन्ना बनाया
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म<br />
जैसे जंगल में शाम के साये <br />
जाते-जाते सहम के रुक जाएँ <br />
मुडके देखे उदास राहों पर <br />
कैसे बुझते हुए उजालों में <br />
दूर तक धूल ही धूल उडती है<br />
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