नीचे दिये हुए पृष्ठ बावरिया बरसाने वाली /प्रेम नारायण 'पंकिल' से जुडते हैं:
देखें (पिछले 50 | अगले 50) (20 | 50 | 100 | 250 | 500)- व्रजमंडल नभ में उमड़-घुमड़ घिर आए आषाढ़ी बादल / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- थे नाप रहे नभ ओर-छोर चढ़ धारधार पर धाराधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- पी कहाँ पी कहाँ रटे जा रहा था पपीहरा उत्पाती / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- भर रही अंग में थी अनंग-मद सिहर लहर पुरवईया की / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- बोली "सुधि करो प्राण !कहते थे हमने देखा है सपना / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सिक्ता कर रही सुरंग चूनरी ऋतु पावसी निगोड़ी थी / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते "तव अरुण राग पद से भू अम्बर छपना देखा था / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- था कहा "धूसरित ग्रीष्म गगन या सरस बरसता पावस हो। / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना। / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- था कहा "अधर-रस-सुधा पिला" तन्वंगी ने तब था पूछा । / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सुधि करो कहा था तुमने ही "चाहता नहीं कुछ और प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सुधि करो प्राण पूछा तुमने "क्यों मौन खड़ी ब्रजबाला हो? / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते थे "मौन उषा गवाक्ष से प्राण! झांकता सविता हो / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सुधि करो प्राण पूछा तुमने " वह पीर प्रिये क्या होती है / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सुधि करो प्राण थी अंकगता किसलय काया अधखुले नयन। / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- भूलते न क्षण प्रियतम इंगित से तुमने मुझे बुलाया था। / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)