कुछ अंतरे मालगोसिआ के लिए / हालीना पोस्वियातोव्स्का
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तुम जब आते हो
मुख पर आ जाती है मुस्कान
और मैं दरपन हो जाती हूँ
आँखों में भर जाता है चौंधापन
तुम जब देखना चाहते हो मुझमें अपनी तस्वीर.
सेब और चेरी से भरी, भारी-भरपूर हाथों के साथ
ख़ुद को पाती हूँ बगीचे में
तुम जब आते हो .
तुम्हारी भूख के लिए
मेरे पास रखे होते हैं फल
और प्यास के वास्ते घास के मैदानों की नमी
खुली खिड़की से उठँगी हुई मैं
आकुल हो तकती हूँ रात को
और सितारे बन जाते हैं मेरी आँख
मेरे प्यार ! अभी कायदे से नहीं हुई है भोर
पंखों की नर्म चादर ओढ़े सो रहे हैं परिन्दे
तुम्हारी आवाज़ से जाग रही हैं सूरज की मधुमक्खियाँ
और नींद से भरे मेरे माथे के गिर्द डोल रही हैं
मेरी पलकों की नीरवता को तोड़ रहे हैं तुम्हारी आहट के झींगुर
और परिन्दे अब भी सो रहे हैं.
अभी बहुत जल्दी है मेरे प्यार !
मेरे घर , मेरे आकाश में
तुम्हारे चुम्बन से उदित होता है उष:काल
पापलर की डोलती पत्तियों पर सूर्योदय उकेरता है रेखाचित्र
जिन पर सुबह चमक रही है बूँद - बूँद
तुम्हारे रसपान के वास्ते ही तैयार किया गया है यह आसव
गो कि गहरी नींद में डूबे सोए पड़े है पेड़