भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आने वाले दिनों में क्या होगा.. / श्रद्धा जैन
Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:59, 9 दिसम्बर 2010 का अवतरण (कल है क्या होगा / श्रद्धा जैन का नाम बदलकर कुर्बतें या कि फासला होगा / श्रद्धा जैन कर दिया गया है)
आने वाले दिनों में क्या होगा
कुर्बतें या कि फासला होगा
आज रोता है वो तो रोने दो
आज वो खुद से मिल गया होगा
जिंदगी तू जो हार जायेगी
मौत को इससे हौसला होगा
फूल की ताज़गी को देख कहा
जल्द ही शाख़ से जुदा होगा
कोई तो हमख़्याल होगा यहाँ
कोई तो मुझ सा सिरफिरा होगा