रचनाकारः केदारनाथ अग्रवाल
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
हाथी सा बलवान,
- जहाजी हाथों वालाऔर हुआ !
- जहाजी हाथों वालाऔर हुआ !
सूरज-सा इंसान,
- तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
- तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचारः
- अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
- अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
दादा रहे निहारः
- सबेरा करनेवाला और हुआ !!
- सबेरा करनेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
जनता रही पुकारः
- सलामत लानेवाला और हुआ !
- सलामत लानेवाला और हुआ !
सुन ले री सरकार!
- कयामत ढानेवाला और हुआ !!
- कयामत ढानेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
( कविता संग्रह, "कहें केदार खरी खरी" से )