भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होळी / सत्यप्रकाश जोशी

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:17, 14 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


होळी रा रंग-रंग कांईं करौ रे,
म्हारै तन भरिया रंग दस बीस।
हरियौ तौ हिवड़ौ म्हारौ,
हरी हरी कूख म्हारी,
रमणा रौ कोड अखूट।
फाग रमांऊ म्हारा कांन्ह नै।

होळी रा रंग-रंग कांईं करौ रे,
तन म्हारौ पीळौ सिरसूं खेत।
नख म्हारा लाल ममोलिया,
होठां रौ हिंगळूं गै‘रौ
सिंदूरी अमर सुहाग।
फाग रमाऊं म्हारा कांन्ह नै।

म्हारै रंगां री होड कांई करौ रे,
कदै न हीणा पड़सी म्हारा रंग।
धोयां ना धुपसी सुपनै,
तावड़ियै नीं उडसी रे,
मिळसी ना रंगरेजां री हाट।
फाग रमाऊं म्हारा कांन्ह नै।