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अठै स्यूं देख / प्रमोद कुमार शर्मा

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देख
दूर-दूर
आंख री सींवा तांई देख !
देख:
कितरा मिन्दर
कितरी मैं'जद
कितरा गुरद्ववारा
कितरा चरच
मून खड़या
देखै है आदमी रा पाप !
अठै स्यूं देख !
खिड़की खोल !
मां री कोख स्यूं देख
दूर-दूर
आंख री सींवा पार
आदमी ई आदमी
एकसा नाक
एकसा कान
एकसा पैरान !

फेर बी
लड़-लड़ मरै है
कोई किणी री
लिहाज कणा करै है !
तो पूछ !
आपू-आप स्यूं पूछ
कुण दे दिया ओ सराप !
देख:
दूर-दूर
आंख री हदां सरहदां पार !