भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अर अचाणचक / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:20, 19 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री आँख सूं / सांवर दइया }} [[Ca…)
आभै में उडतै
पंछी नै देख
मुळकूं
हरखूं
उच्छब मनावूं
……अर अचाणचक
आकळ-बाकळ हो जावूं
अटकै म्हारी आंख
आड़ लेय ऊभो
पारधी निजर आवै
म्हारी सांस
ऊपर री ऊपर
हेठै री हेठै रह जावै !