भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुट्टी की मृत्यु पर / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:25, 19 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)
जान का जुगनू
जिस्म में बुता गया
जिस्म को
खा गई
मसान की लपटें
निःशेष हो गई ‘गुट्टी’
दो बेटियों की माँ
उदास हूँ मैं
अँसुआई आँखों में
दिल का दर्द भरे
रचनाकाल: २८-०८-१९७६
गुट्टी के आज सबेरे मरने पर (अस्पताल में)