Last modified on 23 दिसम्बर 2010, at 12:09

निरभागी / कन्हैया लाल सेठिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:09, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=दीठ / कन्हैया लाल से…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


गमावै
इयां ईं
परमाद में
मोत्यां मूंघी
सांसां,
थारै स्यूं तो
जबरी
मुई खाल
जकी गाळै
वजरमान लोह,
बणावै
हल रो चऊ
गांठणै री रांपी,
आवै
रोजीना
मोटो सूरज
बारणै
पण चल्यो जावै पाछो
देख‘र तनै सूतो
कैंतो की मरम री बात
जे तू
जागतो हूंतो !