भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बटाऊ / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=दीठ / कन्हैया लाल से…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


मत
हार मतो
जा बगतो
अबै
कतो‘क रसतो ?
चालै सागै
मेलती माथै
खोजां नै धूल
मती अणख कांटां
आं रै कडूंबै में फूल,
कठै है तू एकलो
ऊभा पग पग पर
खेजड़ा‘र बंवल
घौळे सांसां में
मिठास
मींझर
करै छयां
लियां छत्तो
बडेरा बड़‘र पींपल
जाण‘र तनै
अणमणो
गीतेरण कमेड़यां
कर दी गूंगी रोही नै
बातैरण,
देख‘र
तनैं सुसतातो
थमग्यो चनेक
आंथूणी पोळी में
बड़तो मोटो सूरज
चाल उठा‘र पग
मत हार हिम्मत
दो खेत आगै
गोरी रै गांव री
कांकड़ !