भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरनाटो गावै सुनपण रा गीत / राजेश कुमार व्यास

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:23, 26 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश कुमार व्यास |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>गुमग्या सग…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुमग्या
सगळा ही सबद
विगत नै जोवता
हांफता, फेंफिजता
आखर भी
धुंधळा पड़ग्या
सरनाटो गावण लागग्यौ
सुनपण रा गीत ।