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कविता एक चिड़िया-सी / पूरन मुद्गल

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मील-पत्थर की तरह
उम्र की ढलान से
फिसल गए
कितने ही वर्ष ।

क़ायम हैं
मील-पत्थर की तरह
तुम्हारे संग बिताए
पल ।