भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थळी रा गांव / भंवर भादाणी

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:03, 30 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भंवर भादाणी |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी }} [[Catego…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


थळी रा गांव
घोराबन्ध खेत
कांटां री बाड़,
मिनख री लम्बाई मापता
मोती सा चमकता
सिट्टा-मीठा
निसांणी है
आदमी रै
जिन खोजा तिन पाईयां
गहरे पाणी पैठ रै
इतिहासू दौर री।
गवाह है
इतिहास-
थार रै समंदर सूं
चळू-चळू सींचता हाथ
अधपक्की फळयां
बूरीज्यौड़ा मतीरा
हरी-भरी बेल।
अरी
बेल री हरियाळी
चाटती जीभ
धोरां माथै
मंडयौड़ा
जोरावरी जूत्यां रा निसांण
गवाह है
थळी री
फाटयौड़ी-पसरयौड़ी
आंख
पिचक्यौड़े गालां
और
खोळियै सूं झांकती
आंतड़यां री ।