भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
म्हारी पीड़ / भंवर भादाणी
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:07, 30 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भंवर भादाणी |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी }} [[Catego…)
म्हूं जद भी
तड़पूं-कूरळावूं
पीड़ सूं,
म्हारी कुरळाटां
सुणीजै-पाछी
पड़ौस सूं।
खाली पड़ौस सूं ई नीं
घणी दूर सूं-
जठै जठै रैवे आदमी।
धरती रै
इण छोर सूं
उण छोर तांई
आखै संसार सूं
टकरा‘र सुणीजै
पाछी-म्हारी पीड़।