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अग्नि-2 / मालचंद तिवाड़ी

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धैर्य नहीं है तुम्हारे
अग्नि

थकती नहीं तुम
नश्वरता पी-पी कर ?

लेकिन
बतलाओ तो अग्नि !
तुम नश्वरता को प्राण देती हो
या अपने लिए
नश्वरता के प्राण लेती हो ?

अनुवादः नीरज दइया