भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नहीं सुनता आदमी / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:45, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("नहीं सुनता आदमी / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
नहीं सुनता आदमी
दिन में आदमी की बातें
रात में सुनते हैं मुरदे
मुरदों की बातें।
रचनाकाल: ०७-११-१९६४