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आदिम गुनाह में कैद / केदारनाथ अग्रवाल

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अपनी गोलाई में कैद
बड़े आसमान का
खूबसूरत चाँद
न मिला मुझे
बचपन में-
जवानी में
जहाँ मैं हूँ
आदिम गुनाह में कैद
उससे दूर
बहुत दूर
अकेला
जमीन पर पड़ा

रचनाकाल: ०८-१०-१९६७