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मैंने कुछ नहीं कहा / केदारनाथ अग्रवाल

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मैंने कुछ नहीं कहा
जो कुछ कहा
शब्दों ने कहा
और
सच कहा

मैंने कुछ नहीं कहा
तथ्यों ने कहा
और सच कहा

बिना कहा तथ्यों का
शब्दों का
बहुत-बहुत बचा रहा
और अभी और अभी
कहने को
ललच रहा।

रचनाकाल: १३-०३-१९६८