भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ताल में तैरती है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:28, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("ताल में तैरती है / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
ताल में
तैरती हैं
अंग के अनंग की
मछलियाँ
गाँव के गले में
पड़ा है
धुआँ
नीलकंठी अभिशाप
आँखों में करकता है।
रचनाकाल: २०-०३-१९७०