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लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर
Kavita Kosh से
Vaibhav Kumar Nain (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:30, 9 जनवरी 2011 का अवतरण
लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । <बर> गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग । <बर> तहां बचावे अंग,