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लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर
Vaibhav Kumar Nain
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लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग ।
गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग ।
तहां बचावे अंग,