भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम तो / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:56, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("हम तो / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम तो
नहीं चलते उस सड़क पर
जिस पर चलते हैं और लोग
बदनाम हुए लोग
और अन्ततोगत्वा अनाम हुए लोग।

हम तो
नहीं करते उस करम को
जिसे करते हैं शैतान हुए लोग
और अन्ततोगत्वा मसान हुए लोग।

रचनाकाल: ०१-०९-१९७१