भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ट्विस्ट करती है नागिन बिजली / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:03, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("ट्विस्ट करती है नागिन बिजली / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
ट्विस्ट
करती है
नागिन बिजली
तड़क रहे बादलों की
देह से निकली।
तमांध हरती है
दिगंबरी ईशिता
शिव की
ईप्सित उजाले से,
चर-अचर में
उत्प्लवन करती हुई
चमत्कार करती है
चेतना
पवन और पानी को
प्रदीपित करती हुई
कृतांत
भोगती दुनिया
सकाम प्रमोदन करती है
प्रकाश के संसर्ग में
दृश्य
प्रतिदृश्य में
प्रतिभासित
रचनाकाल: १४-०३-१९७२, बाँदा