भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड़ा नहीं / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:23, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("लड़ा नहीं / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लड़ा नहीं है, अपनी मैंने जोट न पाई;
पुण्य प्रकृति की ललित कला ही मुझको भाई;
जीवन-अग्नि जलाई-मैंने देह तपाई,
मंद हुई वह अग्नि, बुझी, दो मुझे विदाई।

डब्ल्यू एस लेंटर की कविता का अनुवाद
रचनाकाल: १२-०८-५६