प्रिय भाई! हम आपके आभारी हैं कि आपने हमारा ध्यान इस त्रुटि की ओर दिलाया । दरअसल यह कविता हिन्दी के युवा कवि अजेय की है। ’कविता कोश’ में भी उनके पन्ने पर यह कविता उपस्थित है। सबसे पहले हिन्दीयुग्म ने इस कविता को अज्ञेय की कविता कहकर प्रस्तुत किया। उसके बाद यह ग़लती शायद दूसरों ने भी दोहराई होगी। किसी ने यह कविता ’कविता कोश’ में भी अज्ञेय जी के पन्ने पर जोड़ दी थी। हमने अब उसे हटा दिया है और त्रुटि को ठीक कर दिया है। सादर --अनिल जनविजय 06:15, 11 जनवरी 2011 (UTC)
यह अज्ञेय की कविता है? जिनकी 1987 में मृत्यु हो गई थी और जब इन 'डिज़ाइनर' महिलाओं में से कुछ का कहीं नाम भी नहीं था?
मीरा तो नहीं
तसलीमा भी शायद
पर हां, कह सकते हैं
इंदिरा, बनेजीर
टेरेसा, महा श्वेता
और अभी-अभी अरूंधति
बिल्कुल अभी ही
जैसे तमाम इनामी औरतें
पुरस्कृत बुकर पुलित्जर
प्रश्नवाचकों की तरह
शोभा डे
किरन बेदी
किरन खैर
किरन देसाई
कहीं कुछ गड़बड़ लगती है। या कोई और भी अज्ञेय हुए हैं? वैसे यही कविता अज्ञेय के ही नाम से इंटरनेट पर कई जगह मौजूद है।
--Eklavya 04:59, 11 जनवरी 2011 (UTC)