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गै‘लो / श्याम महर्षि

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गैलौ टाळर बगणौ
कै
गैलै-गैलै बगणौ
न्यारा-न्यारा मिनखां री
न्यारी-न्यारी समझ है,

गैलो पूछणियां अर
गैलो बतावणियां
नूंवो गैलो नीं बणाय सकै,

नीं कर सकै बै
अबखायां रो सामनौ,
गैले री सीध पाड़नियां
अर नूंवो गैलो
बणावणिया लोग
गैलो नीं पूछै दूजां नैं,