Last modified on 14 जनवरी 2011, at 16:13

वार्ता:लाठी में गुण बहुत हैं / गिरिधर

Vaibhav Kumar Nain (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:13, 14 जनवरी 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
Return to "लाठी में गुण बहुत हैं / गिरिधर" page.

लाठी में गुण बहुत हैं, सदा रखिये संग ।
गहरि , नदी , नाली जहाँ, तहां बचावे अंग ।।
तहां बचावे अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारै ।