भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मतीरो / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:55, 15 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित कागद |संग्रह=कुचरणी / ओम पुरोहित ‘काग…)
तिस्सै मरते
धोरी नै
मरू रो धीरज
क - लै
टैम काढ़
मती रो !