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उनको महल-मकानी / केदारनाथ अग्रवाल
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उनको
महल-मकानी
हमको छप्पर-छानी
उनको
दाम-दुकानी
हमको कौड़ी कानी
सच है
यही कहानी
सबकी जानी-मानी
रचनाकाल: ११-०१-१९८० / ११-०६-१९९०