कविता
जो न सार्थक हो-
न सटीक हो-
न बोधक हो-
न बेधक हो
मैं नहीं लिखता
ऐसी कविता
जो न
आदमी के पहिचान की हो
न सत्यालोकित संज्ञान की हो।
रचनाकाल: ०९-०३-१९८०
कविता
जो न सार्थक हो-
न सटीक हो-
न बोधक हो-
न बेधक हो
मैं नहीं लिखता
ऐसी कविता
जो न
आदमी के पहिचान की हो
न सत्यालोकित संज्ञान की हो।
रचनाकाल: ०९-०३-१९८०