भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पाखी / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:12, 19 जनवरी 2011 का अवतरण
सावचेत हौ चुग्गौ चुगजै
दांणां रै पेटै
मत लीजै पींजरौ
अडांणै मत राखजै
गाढ करार
आभै रौ छळ
पांखा कूंतजै
जीव-जूंण रौ अमर भरोसौ
सब नै दीजै
उडतौ रैइजै ।