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कुल्फ़ी तुम बरसाओ ना ! / मोहम्मद साजिद ख़ान

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बादल बाबा
ओले ? न न
कुल्फ़ी तुम बरसाओ ना !

पिस्ता, काजू, अखरोट की
और मलाई वाली,
ठण्डी-मीठी, शहद- सरीखी
मनभावन, मतवाली ।

नहीं ज़रा-सी
ख़ूब ढेर-सी
चुपके हमें खिलाओ ना !

पापा से जो पैसे माँगो
लेते सदा उबासी,
मम्मी कहतीं, ठण्डा खाने
से आएगी खाँसी ।

दादी खीजें
दादा चीख़ें
तुम तो प्यार जताओ ना !

मन की आज मुरादें पूरी
कर दो बादल बाबा,
सदा बड़ों के आगे अपनी
इच्छाओं को दाबा ।

छत ख़ाली है
आँगन ख़ाली
तुम इसको भर जाओ ना !