भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वनै वनै काफल किलमड़ौ छ / गुमानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:14, 24 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गुमानी }} {{KKCatKavita}} <poem> वनै वनै काफल किलमड़ौ छ वाड़ा …)
वनै वनै काफल किलमड़ौ छ
वाड़ा मुड़ि कोमल काकड़ो छ
गोठन में गोरु लैण बाखड़ो छ
थातिन में है उत्तम उपरड़ो छ