भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विष्णु देवाल उखाड़ा ऊपर बंगला बना खरा / गुमानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:17, 24 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गुमानी }} {{KKCatKavita}} <poem> विष्णु देवाल उखाड़ा ऊपर बंगल…)
विष्णु देवाल उखाड़ा ऊपर बंगला बना खरा
महराज का महल ढहाया बेड़ी खाना वहाँ धरा
मल्ले महल उड़ाई नंदा बंगलों से हैं वहाँ भरा
अँग्रेज़ों ने अल्मोड़े का नक्शा औरी और करा