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सभ्यता-2 / अरुण देव

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शब्द उच्चरित हुए
एक स्वर्गीय संगीत में लिपटी थी उनकी आत्मीयता
छंदों में छिपी थी क्रूरता
उन्हें याद किया गया मंत्रों की तरह
बड़े जतन से लिखा गया उन्हें
पत्थर की क़िताबें ठहरीं

पुरानी किताबों ने बनाई सभ्यता
सभ्यता पर भारी हैं अब क़िताबें